जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
क्षणिकाएं
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दो क्षणिकाएँ - नवल बीकानेरी

पाँव के नीचे से 
निकल गई 
एक छोटी सी कीड़ी,
बड़ी-सी बात कहकर 
कि
मारने वाले से 
बचाने वाला बड़ा है। 
...

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